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पिछले कुछ दशकों में हमने इंटरनेट सेवा प्राप्त करने के विभिन्न तरीके देखे हैं।
आज, हम आपको एक नई तकनीक के बारे में जानकारी देंगे जो दूरदराज के इलाकों में आसानी से इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने में मदद कर सकती है ।
हम डिजिटल युग में रह रहे हैं। दुर्भाग्य से, दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी अभी भी इंटरनेट का उपयोग नहीं करती है। कुछ लोग इसका खर्च नहीं उठा सकते। और कुछ लोगों तक यह सुविधा पहुंच ही नहीं सकती।
इंटरनेट गुब्बारे

समस्या का समाधान करने के लिए, गूगलकी मूलकंपनी अल्फाबेट (Alphabet ) ने इंटरनेट गुब्बारे पेश किए। उन्होंने डिजिटल विभाजन को दूर करने की कोशिश की । लेकिन इंटरनेट गुब्बारे उतने उपयोगी साबित नहीं हुए जितना उन्हें सोचा गया था। समताप मंडल (stratosphere) में ऊंचाई वाले गुब्बारों का उपयोग करके ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में कंपनी ने इंटरनेट पहुंच लाने की कोशिश की लेकिन असफल रही ।
लेजर इंटरनेट
लेकिन अब कंपनी प्रकाश की किरणों(लेजर इंटरनेट) का उपयोग करके दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार है। इस परियोजना को “तारा” नाम दिया गया है। इसे अल्फाबेट की इनोवेशन लैब, जिसे एक्स कहा जाता है, ने 2016 में इंटरनेट पहुंचाने के लिए स्ट्रैटोस्फेरिक गुब्बारों का उपयोग करने के प्रयासों के बाद शुरू किया था। उच्च लागत के कारण स्ट्रैटोस्फेरिक गुब्बारे एक बड़ी समस्या बन गए थे ।
लेजर इंटरनेट तकनीक कैसे काम करता है।

आइए देखें कि नई लेजर इंटरनेट तकनीक कैसे काम करती है।
इस प्रणाली में एक इंटरनेट मशीन शामिल होती है जो लगभग एक ट्रैफिक लाइट के आकार की होती है जिसे टर्मिनल कहा जाता है।यह डेटा ले जाने वाले लेजर को बीम करता है। यह फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट की तरह ही काम करता है लेकिन सबसे बड़ा फर्क यह है की इसमे केबल की जरूरत नहीं होती ।
प्रत्येक टर्मिनल दर्पण और चिप्स से सुसज्जित है जो लेजर बीम को एक निश्चित दूरी पर संबंधित टर्मिनल तक पहुंचाता है। दिलचस्प बात यह है कि ये टर्मिनल प्रत्येक छोर पर 20 गीगाबिट प्रति सेकंड की गति से 20 किलोमीटर तक प्रकाश की किरण संचारित कर सकते हैं। उस डेटा को टर्मिनल से लोगों तक वाई-फाई राउटर या फाइबर के माध्यम से वितरित किया जा सकता है।
गौर करने की बात है की फाइबर ऑप्टिक केबल को जमीन में बिछाने की तुलना में इमारतों के बीच डेटा बीम करना कम महंगा है।
गूगल और एयरटेल का गठजोड़
भारत में, तारा के अधिकारी और भारती एयरटेल, जो भारत के सबसे बड़े दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदान करने वाली कॉम्पनियों में से एक है, अब दूरदराज के गांवों और कस्बों तक पहुंचने के लिए नई लेजर इंटरनेट तकनीक की बड़े पैमाने पर तैनाती की ओर बढ़ रहे हैं।
इतना ही नहीं, यह परियोजना ऑस्ट्रेलिया, केन्या और फिजी समेत अब तक 13 देशों में इंटरनेट सेवाओं को जोड़ने में भी मदद कर रही है।
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