भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है और शक्ति तब और प्रबल हो जाता है जब शक्ति का प्रदर्शन दायित्व का निर्वाह करके किया जाता है। बीते साल से भारत जी 20 का अध्यक्ष है यानी की उसके पास एक ताकत है। ताकत यह की वह एजेंडा तय कर पा रहा है कि इस बार जो शिखर सम्मेलन होने वाला है, उसमें एजेंडा क्या होगा? जी 20 की जो शिखर सम्मेलन कल से यानि 9 – 10 सितंबर 2023 को दिल्ली में आयोजित होने वाली है। इस ताकत को हम तभी समझ पाएंगे जब हमे यह पता होगा की जी – 20 शिखर सम्मेलन क्या है इस शिखर सम्मेलन का अद्यक्ष होना क्या मायने रखता है ।

जी – 20 शिखर सम्मेलन की शुरुवात कैसे हुई ?
शुरुआत कहाँ से होती है? जी 20 के इतिहास की शुरुवात 1997 जुलाई में पूर्वी एशिया के देश थाईलैंड के वित्तीय संकट से हुई।
वित्तीय संकट के कारण थाईलैंड ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन कर दिया।
मुद्रा का अवमूल्यन क्या होता है?
मान लीजिये उदाहरण के तौर पर अभी आपको ₹83 में $1 मिलता है, लेकिन कुछ समय बाद यही $1 आपको ₹100 में मिलने लगा । यानी की आपकी जो मुद्रा है उसकी कीमत गिर गई। मतलब यह की मुद्रा की कीमत ₹17 गिरी।
थाईलैंड (अवमूल्यन) मुद्रा की कीमत क्यों गिरा रहा था ?
थाईलैंड ने अपनी मुद्रा की कीमत गिरा दी और थाईलैंड की तरह बहुत सारे देशों ने इस चीज़ को अपना लिया और अपने देश की मुद्रा कीमत गिरा दी । अपने मुद्रा की कीमत गिराने के पीछे इनका लक्ष्य था कि हम ऐसा करेंगे तो हमें विदेशी निवेश ज्यादा मिलेगा।
जब पूर्वी एशियाई देश इस तरह से मुद्रा की कीमत गिराने लग गए तो निवेश आने की जगह हुआ यह की वहाँ की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई और निवेश भी नहीं आया।
और ऐसी स्थिति में उबरने के लिए वर्ल्ड बैंक और आइएमएफ द्वारा इन्हें सहयोग किया गया। इनको बचाने की कोशिश की गई और बड़ी मुश्किल से ये बच पाए। लेकिन इससे एक बात समझ में आयी की कोई ऐसा समूह होना चाहिए जो इन देशों को एक बड़े मंच पर इनकी वित्तीय स्थिति को समझा सके और उस हिसाब से कुछ एजेंडा तय करवा सके।
तो 1999 आता है और 1999 में जी 20 की स्थापना होती है ।

जी – 20 का आधार – ग्लोबल साउथ देश
जी 20 इस आधार पर बनाया गया था कि जो ग्लोबल साउथ देश है, जो अविकसित देश हैं, जो विकासशील देश हैं इनको ध्यान में रखकर एक जी 20 समूह
बना क्योंकि ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था बेहतर हो और आने वाले समय की अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से निपटा जा सके । साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में क्या मुददे हो सकते हैं, उसको तय करने का कार्य करेगा।
इन सब बातों को ध्यान में रखकर 26 सितंबर 1999 में जी – 20 बनाया गया ।
जी – 20 देशों के नाम
जी 20 में कुल 19 देश हैं और बीसवाँ यूरोपियन यूनियन है । जी – 20 देशों के नाम
कुछ इस प्रकार है –
अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका।

जी – 20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत
1999 से जी – 20 देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर की आपस में बैठक होती थी। लेकिन शिखर सम्मेलन का मतलब है कि राष्ट्र अध्यक्षों की बैठक जो 2008 से शुरू हुई ।
जी – 20 का मुख्यालय
आपको जानकार हैरानी होगी की जी 20 का कोई मुख्यालय या सचिवालय नहीं है।
अध्यक्ष का चुनाव कैसे होता है ?
अध्यक्ष कौन होगा इसका फैसला ट्रोइका करता है । वर्तमान में जो देश अध्यक्ष रहेगा जी 20 का और 1 साल पहले जो अध्यक्ष था और आने वाले साल में जो अध्यक्ष होगा। इन तीनों को मिलाकर बनता है ट्रोइका। इसका फायदा यह है की जो देश अध्यक्ष है उसको इससे पता चलता है कि कार्य को कैसे आगे बढ़ाना है और जो अध्यक्ष होगा उसे पता चलता है कि कार्य को कैसे आगे लेकर जाना है।
